हजारीबाग के कनहरी पहाड़ अपनी कोख समेटे है 500 से 600 साल पुराना इतिहास, मिले हैं मेगालिथ और लोहा गलाने के पुराने अवशेष

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हजारीबाग :- प्रमोद कुमार :- हजारीबाग जिला खूबसूरती के साथ इतिहास को भी अपनी कोख में समेटे हुए है। आज भी जिले के कई कोने में ऐतिहासिक धरोहर छिपे हुए हैं। जिसका प्रमाण समय समय पर मिलता रहा है। कन्हरी पहाड़ हजारीबाग का एक महत्वपूर्ण अंग है। लेकिन अब आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि टूरिस्ट स्थल के रूप में विख्यात कैनरी पहाड़ में अब इतिहास का महत्त्वपूर्ण दुर्लभ चीजें मिल रही है। हजारीबाग के कैनरी पहाड़ के उत्तरी क्षेत्र से सटे चुरचू गांव की ओर से लगभग 500 से लेकर 600 साल पुराना मेगलिथ के साथ-साथ लोह अयस्क गलाने के बाद बचे हुए अवशेष प्राप्त हुए हैं। हजारीबाग के रहने वाले प्रकृति प्रेमी और पर्यावरण पर अध्ययन करने वाले मृत्युंजय शर्मा को यह महत्वपूर्ण धरोहर प्राप्त हुए हैं। पर्यावरण पर अध्ययन करने वाले मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि वह मेगालिथ के बारे में सुभाषित दा को भी जानकारी दिए। सुभाषित दा ने भी इस बात को लेकर हामी भरी है कि यह मेगालिथ लगभग 500 साल से लेकर 600 साल पुराना हो सकता है। उनका यह भी कहना है कि असुर प्रजाति के लोग कभी इस इलाके में रहा करते होंगे। जो लोहा गलाने का काम करते थे। लोहा गलाने के बाद जो अवशेष प्राप्त होता है वही कन्हरी पहाड़ के इलाकों से बरामद किया गया है। ऐसे में स्पष्ट होता है कि कैनरी पहाड़ का यह इलाका सिर्फ इको टूरिज्म के लिए नहीं बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। जरूरत है सरकार को इस ओर शोध करने कि ताकि इस पर और ऐतिहासिक धरोहर प्राप्त किया जा सके। ईकोटूरिज्म पर अध्ययन कर रहे मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि हम लोगों को इस बात को लेकर बेहद खुशी है कि जिस इलाके को हम लोग इको टूरिज्म के दृष्टिकोण से देख रहे थे वह इतिहास को अपने में समेटे हुए है। जिस तरह से मेगालिथ और सैलग मिले हैं यह बताता है कि इस क्षेत्र में शोध करना चाहिए तभी इको टूरिज्म को भी प्रोत्साहन मिल सकता है।